महाराष्ट्र सरकार (Maharastra Government) देश और राज्य में बढ़ रहे कोरोना महामारी (Corona Epidemic) की वजह वेजिटेबल बटर (Vegetable Butter) को भी मानती है. महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर वेजिटेबल से बनने वाले बटर और दूध से बनने वाले बटर के भीतर फर्क स्थापित करने के लिए कहा है और इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया है कि दूध के बटर और सब्जियों से बनने वाले बटर का कलर चेंज किया जाए, जिससे आम लोगों को इसे पहचानने में आसानी रहे.
महाराष्ट्र सरकार ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि कोरोना वायरस के इस समय में मिल्क प्रोडक्ट (Milk Products) लोगों को ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन लोगों को यह नहीं पता है कि मार्केट में मिलने वाला सस्ता बटर दरअसल दूध का नहीं बल्कि सब्जियों से बना हुआ होता है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं बढ़ती है. इसलिए महाराष्ट्र सरकार की तरफ से केंद्र को सुझाव दिया गया है कि दोनों बटर का रंग बदला जाए, जिससे लोगों को यह पता चल सके कि कौन सा मिल्क प्रोडक्ट से बना हुआ बटर है.
महाराष्ट्र सरकार भी उठाएगी कदम
महाराष्ट्र सरकार के डेयरी डेवलपमेंट मंत्री सुनील केदार ने बताया कि उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है साथ ही महाराष्ट्र में भी वह दूध से बने बटर को कैसे ज्यादा से ज्यादा प्रोड्यूस किया जाए, इस पर सरकारी दूध की कंपनियों से बात करेंगे. इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार कानूनी सलाह लेगी की वेजिटेबल से बनने वाले बटर को महाराष्ट्र में कैसे बन कर आए थे. यानी साफ है महाराष्ट्र सरकार मानती है कि देश में जो कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं उसके पीछे की वजह लोग मिल्क प्रोडक्ट का इस्तेमाल न करके दूसरी चीज इस्तेमाल करना. सरकार का कहना है कि इस तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने की बजाय कम हो रही है.